1990- 2000 के दशक में कभी चंदन तस्कर वीरप्पन की तूती बोलती थी। वह वीरप्पन जिसके नाम पर दो राज्यों की पुलिस से लेकर वन विभाग तक थर्राता था। उस पर पुलिस और वन विभाग के 150 लोगों की हत्या का आरोप था और 100 हाथियों की तस्करी का भी आरोप था। 2004 में पुलिस मुठभेड़ में वीरप्पन मारा गया था।
उसकी मौत के 15 साल बाद एक बार फिर तमिलनाडु और आसपास के राज्यों सहित पूरे देश में उसका नाम फिर से गूंज उठा है। इस बार ये आवाज तमिलनाडु के जंगलों में नहीं बल्कि सियासी गलियारों में गूंज रहा है। दरअसल आज बीजेपी ने वीरप्पन की बेटी विद्या रानी को तमिलनाडु में बड़ी जिम्मेदारी सौंप पर अपने सियासी पांव को मजबूती से जमाने का प्रयास किया है।
विद्या ने इसी साल फरवरी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी। यह सदस्यता उन्होंने अपने रिश्तेदार के कहने पर ग्रहण की थी। आपको बता दें कि 29 साल की विद्या लॉ ग्रेजुएट हैं। वो स्कूली बच्चों को पढ़ती हैं। अब इस चंदन तस्कर की बेटी के दम पर तमिलनाडु में सत्ता की तलाश कर रही बीजेपी अपना पांव जमाने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी की सदस्य बने अभी 6 महीने भी ठीक से नहीं हुए कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष एम.मुरुगन ने विरप्पन की बेटी विद्या रानी को तमिलनाडु स्टेट यूथ विंग ( Tamilnadu State Youth Wing) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया। वीरप्पन की बेटी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद आज ये खबर काफी चर्चा में है। यह कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी ने चंदन तस्कर विरप्पन की छवि पर बडा दांव खेला है।
वीरप्पन की बेटी को इसलिए दी बड़ी जिम्मेदारी
दरअसल तमिलनाडु में चंदन तस्कर वीरप्पन का ताल्लुक पिछड़ी जाति से था। लोगों में उसके नाम का खौफ भले ही रहा हो लेकिन तमिलनाडु के पश्चिमी और उत्तरी इलाकों के वन्नियार जाति में वीरप्पन का काफी दबदबा था। उस इलाके में वीरप्पन की छवि काफी अच्छी मानी जाती थी।
माना जाता है कि वहां वीरप्पन का काफी दबदबा था। कोई राजनैतिक पार्टी बिना वीरप्पन के नाम का सहारा लिए आगे नहीं बढ़ पाती थी। बीजेपी ने वीरप्पन की इसी छवि को राजनीति में बेटी के सहारे भुनाने का दांव खेला है। बेटी के सहारे तमिलनाडु में सियासी पांव जमाने के लिए बीजेपी का यह सबसे बडा दांव माना जा रहा है।